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राकेश और सुनीता की अधूरी प्रेम कहानी – एक सच्चा और मासूम प्यार

 राकेश और सुनीता की अधूरी प्रेम कहानी – एक सच्चा और मासूम प्यार


प्यार एक ऐसा अहसास है जो दिल से होता है, किसी मजबूरी या हालात का मोहताज नहीं होता। यह कहानी है राकेश और सुनीता की, जिनका प्यार सच्चा था, मासूम था, लेकिन आज भी अधूरा है।


पहली मुलाकात और बढ़ता रिश्ता


राकेश और सुनीता एक-दूसरे से बहुत प्यार करते थे। एक-दूसरे की छोटी-छोटी बातों में भी खुशी ढूंढ लेते थे। सुनीता का कॉलेज में एग्जाम था और राकेश हर बार की तरह इस बार भी उसके साथ जाने वाला था, लेकिन इस बार सुनीता का भाई साथ गया।

राकेश और सुनीता की अधूरी प्रेम कहानी – एक सच्चा और मासूम प्यार


फिर भी राकेश पीछे-पीछे कॉलेज पहुंच गया। जब परीक्षा खत्म हुई, तो राकेश और सुनीता मिले। दोनों ने एक साथ बैग लिया और रास्ते में कुछ समय साथ बिताया। वो दिन बहुत खास था। दोनों ने साथ खाना खाया, हँसी-मजाक किया और अपनी छोटी-सी दुनिया में खो गए।


वो सुकून भरी शाम


उस दिन राकेश ने सुनीता को उसके घर छोड़ा। रास्ते में सुनीता थक कर राकेश की गोद में सो गई। ये पल राकेश के लिए ज़िंदगी के सबसे सुकून भरे लम्हों में से एक था।


अचानक बदल गया सबकुछ


कुछ दिनों बाद, जब सब कुछ अच्छा चल रहा था, सुनीता के लिए रिश्ता देखने वाले लोग घर आए। ये खबर राकेश के लिए जैसे ज़मीन खिसक जाने जैसी थी। सुनीता भी टूट चुकी थी, पर समाज और परिवार की मजबूरियों के आगे दोनों का प्यार हार गया।


अधूरी कहानी, अधूरे जज़्बात


राकेश और सुनीता आज भी एक-दूसरे को दिल से चाहते हैं। मगर हालात ऐसे हैं कि साथ नहीं आ सकते। दोनों दुखी हैं, लेकिन आज भी दिल में उम्मीद है कि शायद कोई चमत्कार हो जाए।


क्या करें अब?

कभी-कभी प्यार में सब कुछ पाकर भी कुछ छूट जाता है — और वही अधूरापन हमें सिखाता है कि सच्चा प्यार साथ हो या ना हो, दिल में हमेशा ज़िंदा रहता है।

निष्कर्ष


राकेश और सुनीता की कहानी भले ही अधूरी हो, लेकिन उनका प्यार अमर है। अगर आपकी भी कोई ऐसी कहानी है, तो याद रखिए, सच्चा प्यार कभी हारता नहीं — बस समय का इंतज़ार करता है।

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