राकेश की शादीशुदा लेकिन बेवफ़ा प्रेम कहानी
शादी और प्रेम — दोनों रिश्तों की नींव ईमानदारी और भरोसे पर होती है। लेकिन कभी-कभी हालात या भावनाएं इंसान को ऐसे मोड़ पर ला देती हैं, जहाँ सही और गलत की सीमाएं धुंधली हो जाती हैं। यह कहानी है राकेश, उसकी पत्नी सुनिता, और उसकी एक गलत मोड़ पर आई प्रेमकहानी नेहा की।
यह कहानी उन लाखों-करोड़ों शादियों की तरह है जहाँ प्यार के बावजूद खामोशी घर कर जाती है, और किसी तीसरे के आने से सब कुछ टूटने लगता है। पर क्या सचमुच सब बिखर जाता है? या फिर रिश्तों को दोबारा जोड़ा जा सकता है?
🧍♂️ राकेश की शादीशुदा ज़िंदगी की शुरुआत – 2012
राकेश, लखनऊ का एक सरकारी कर्मचारी था। 2012 में उसकी शादी हुई सुनिता से — एक पढ़ी-लिखी, शांत, पारिवारिक सोच वाली लड़की। दोनों की मुलाकात रिश्तेदारों के ज़रिए तय हुई थी, और शादी बिना ज्यादा दिखावे के, सादगी से हुई थी।
शादी के शुरुआती दो साल बहुत ही अच्छे गुज़रे। सुनिता घर संभालती, राकेश काम करता और शामें दोनों की चाय और बातों से भरी होतीं। एक-दूसरे को धीरे-धीरे समझना, छोटी-छोटी चीज़ों में साथ देना — यही उनका रिश्ता था।
💼 समय और बदलाव – 2015–2018
जैसे-जैसे काम का बोझ बढ़ा, राकेश का ध्यान घर से हटने लगा। ऑफिस की डेडलाइन, ट्रैफिक, थकान — सब रिश्ते के बीच आने लगे।
सुनिता कुछ नहीं कहती, लेकिन उसकी आंखों में शिकायतें साफ दिखती थीं।
राकेश भी जानता था कि वो बदल रहा है, लेकिन शायद ये बदलाव उसे महसूस नहीं होता था — जब तक कि 2018 में नेहा की एंट्री नहीं हुई।
💃🏻 नेहा का आना – सितंबर 2018
सितंबर 2018, ऑफिस में एक नई टीम लीड आई — नेहा शर्मा। तेज, आत्मविश्वासी, शहरी रंग-ढंग और बहुत बातूनी। नेहा और राकेश की पहली मुलाकात एक टीम प्रोजेक्ट में हुई थी।
शुरुआती दोस्ती धीरे-धीरे फ़ोन कॉल्स, कॉफी ब्रेक्स और WhatsApp चैट्स में बदल गई।
राकेश को नेहा की बातों में एक नयापन दिखा — जो उसे सुनिता से नहीं मिल रहा था। उसे महसूस हुआ कि कोई है जो उसकी तारीफ करता है, उसकी बातों में दिलचस्पी रखता है।
लेकिन शायद राकेश यह भूल गया कि तारीफों की चमक सच्चे रिश्ते की गहराई का विकल्प नहीं हो सकती।
💔 रिश्ते में दूरी – 2019
जनवरी 2019 से राकेश का ध्यान पूरी तरह से नेहा पर केंद्रित हो गया। ऑफिस के बाद भी वह कॉल करता, छुट्टियों में मिलने जाता, और धीरे-धीरे घर में सुनिता के साथ संवाद बंद हो गया।
सुनिता कभी शिकायत नहीं करती। वो जानती थी कुछ तो बदल रहा है — लेकिन उसके चेहरे पर कभी सवाल नहीं आया।
22 मार्च 2019, उनकी शादी की सातवीं सालगिरह थी। सुनिता ने एक खास रात का इंतज़ाम किया — राकेश को उसका पसंदीदा खाना बनाया, पुराने एलबम निकाले, लेकिन राकेश ऑफिस से आया ही नहीं।
उस रात सुनिता ने पहली बार अकेले रोते हुए सोने का एहसास किया।
🕳️ नेहा का चले जाना – दिसंबर 2019
दिसंबर 2019, एक दिन नेहा ने अचानक बात बंद कर दी। दो दिन बाद, एक चिट्ठी ईमेल में आई:
> “राकेश, मैं जानती थी ये रिश्ता गलत है। तुम शादीशुदा हो, और मैं किसी का घर नहीं बर्बाद करना चाहती। तुम्हारे साथ बिताए पल हमेशा याद रहेंगे, लेकिन हमें अब दूर होना चाहिए।”
राकेश जैसे खाली हो गया था। ना नेहा रही, ना सुनिता से रिश्ता बचा।
🛑 सुनिता की खामोशी – और वो रात – जनवरी 2020
एक रात, 15 जनवरी 2020, राकेश ऑफिस से बहुत देर से लौटा। जैसे ही घर में घुसा, देखा — सुनिता ड्रॉइंग रूम में बैठी थी, हाथ में उनकी शादी की फोटो एल्बम थी।
सुनिता ने धीमे से पूछा:
> “क्या तुम्हें याद है, ये फोटो कब ली गई थी?”
> “शायद… हमारी शादी के बाद नैनीताल ट्रिप पर,” उसने कहा।
सुनिता की आंखें नम थीं। उसने धीरे से कहा:
> “तब तुमने कहा था कि मेरी हँसी तुम्हें सबसे प्यारी लगती है। अब क्या वो हँसी तुम्हें याद भी है?”
राकेश पहली बार टूट गया। उसने अपनी सारी ग़लती स्वीकार की — नेहा का नाम लिया, अपनी बेवफाई मानी और कहा:
> “मैंने जो किया, उसके लिए कोई माफी नहीं है। लेकिन मैं आज भी चाहता हूँ कि तुम्हारे साथ एक नई शुरुआत करूँ।”
🌅 सुनिता की माफ़ी नहीं… मौका – 2020 की शुरुआत
सुनिता ने बस इतना कहा:
> “मैं तुम्हें माफ नहीं कर पाई हूँ। लेकिन अगर तुम चाहो, तो हम फिर से कोशिश कर सकते हैं।”
वो शब्द राकेश के लिए जैसे भगवान का वरदान थे। वह अगले दिन से बदल गया।
उसने घर का काम बाँटना शुरू किया
हर दिन रात को सुनिता से बात करता
पुराने गाने सुनता, हँसाता, साथ खाना खाता
धीरे-धीरे… रिश्ते में दरारें भरने लगीं।
✉️ नेहा की दूसरी चिट्ठी – मार्च 2020
एक दिन राकेश को नेहा की दूसरी चिट्ठी मिली:
> “तुमने मुझे जो प्यार दिया, वो मेरी ज़िंदगी का सबसे सच्चा पल था। लेकिन मैं जानती थी कि हम एक-दूसरे के नहीं हो सकते। मैं तुम्हें छोड़कर खुद को बचा रही थी… तुम्हारी ज़िंदगी को बर्बाद नहीं करना चाहती थी।”
राकेश की आँखें नम हो गईं, पर दिल में सुकून था। शायद अब वह जान गया था — जो अधूरा रह गया, वह जरूरी नहीं कि बुरा हो।
एक रिश्ते की दोबारा शुरुआत
राकेश की कहानी हमें ये सिखाती है:
बेवफाई की गलती को छुपाना आसान है, स्वीकारना कठिन — लेकिन यहीं से बदलाव की शुरुआत होती है
अगर साथी चुप है, तो वह टूटा नहीं है — वह आपको मौका दे रहा है खुद को बदलने का
अधूरे रिश्ते भी सिखा जाते हैं कि प्यार, माफ़ी और कोशिश से कोई भी रिश्ता फिर से जी उठ सकता है
💬 आपसे सवाल:
क्या आप भी कभी अपने रिश्ते को बचाने के लिए दोबारा शुरुआत करना चाहते थे?
👇 नीचे comment करें — हो सकता है आपकी बात किसी टूटते रिश्ते को जोड़ दे।
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