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राकेश और सुनीता की अधूरी नहीं, अब पूरी हो चुकी प्रेम कहानी – भाग 2

 राकेश और सुनीता की अधूरी नहीं, अब पूरी हो चुकी प्रेम कहानी – भाग 2


कहते हैं सच्चा प्यार अगर अधूरा भी रह जाए, तो वक्त के साथ मुकम्मल भी हो सकता है। राकेश और सुनीता की प्रेम कहानी इसका जीता-जागता उदाहरण है। तीन साल की दूरी और खामोशी के बाद, आखिरकार राकेश को उसका सच्चा प्यार मिल ही गया।


तीन साल बाद फिर हुआ मिलन


समय बीतता गया। राकेश ने कभी हार नहीं मानी। उसने सुनीता को भुलाने की कोशिश जरूर की, पर दिल से कभी निकाल नहीं पाया। और फिर तीन साल बाद, किस्मत ने ऐसा मोड़ लिया कि राकेश और सुनीता एक बार फिर आमने-सामने आए।



सुनीता का बदला हुआ नजरिया


इस बार कहानी अलग थी। अब सुनीता भी राकेश को महसूस करने लगी थी। उसे यह समझ आने लगा था कि राकेश का प्यार सिर्फ एकतरफा नहीं था, बल्कि बेहद सच्चा था। अब वे दोनों मिलने लगे, बातचीत होने लगी, और उनके बीच की दूरी खत्म होने लगी।


एक नई शुरुआत


राकेश और सुनीता की मुलाकातें अब किसी संकोच में नहीं थीं। वे एक-दूसरे की भावनाओं को समझने लगे। सुनीता, जो पहले किसी रिश्ते से बचती थी, अब राकेश से बहुत प्यार करने लगी थी। वह हर छोटी बात में राकेश को ढूंढ़ती थी, और राकेश तो पहले से ही सुनीता का दीवाना था।


प्यार का फूल फिर से खिला


यह कहानी इस बात का प्रमाण है कि अगर प्यार सच्चा हो, तो वह लौटकर जरूर आता है। राकेश और सुनीता अब साथ थे, एक-दूसरे की जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुके थे। उनकी अधूरी कहानी अब पूरी हो चुकी थी।



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निष्कर्ष:

प्यार में इंतजार की ताकत को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता। राकेश ने जिस सच्चाई से सुनीता को चाहा, वही उसे तीन साल बाद उसकी मंज़िल तक ले आई। यह कहानी हर उस दिल के लिए है जो सच्चे प्यार पर विश्वास रखता है।

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