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अधूरी प्रेम कहानी: राकेश और सुनीता की पहली नज़र का प्यार

अधूरी प्रेम कहानी: राकेश और सुनीता की पहली नज़र का प्यार


प्यार एक ऐसा अहसास है जो बिना कहे दिल में उतर जाता है। कुछ प्रेम कहानियाँ मुकम्मल होती हैं, तो कुछ अधूरी रह जाती हैं, लेकिन अधूरी कहानियाँ ही दिल को ज्यादा छू जाती हैं। ऐसी ही एक सच्ची और दिल को छू जाने वाली प्रेम कहानी है राकेश और सुनीता की।


पहली नज़र में प्यार


राकेश एक साधारण युवक था, जिसे पहली ही नज़र में बस में सफर करते हुए सुनीता से प्यार हो गया। सुनीता एक शांत और पढ़ाई में मन लगाने वाली लड़की थी। राकेश हर दिन उसी बस में सफर करता, बस इस उम्मीद में कि एक झलक सुनीता की देख पाए।



सुनीता की सोच और राकेश की चाहत


सुनीता उन लड़कियों में से थी जो पढ़ाई पर फोकस करती थीं और किसी भी तरह के रिश्ते से दूरी बनाकर रखती थीं। वहीं राकेश का दिल पूरी तरह सुनीता पर आ गया था। उसने कई बार सुनीता की सहेलियों से कहा कि उसकी सुनीता से बात करवा दें। लेकिन सुनीता अपने रास्ते पर थी।


एकतरफा प्यार की जद्दोजहद


राकेश की चाहत इतनी सच्ची थी कि वो सुनीता के बारे में जानने के लिए उसके आसपास की लड़कियों से जानकारी जुटाता। एक बार जब सुनीता की परीक्षा थी, तब राकेश ने उसकी सहेली से कहा कि उसे बताना जब सुनीता एग्जाम देने जाए। लेकिन दुर्भाग्यवश वह लड़की खुद राकेश में दिलचस्पी रखती थी और उसने सुनीता को बताया ही नहीं। इसके बदले वह खुद राकेश के साथ चली गई।


अधूरी रह गई मोहब्बत


राकेश का प्यार अधूरा रह गया। वह सुनीता से कभी अपने दिल की बात नहीं कह सका। उसका एकतरफा प्यार एक कहानी बनकर रह गया—एक ऐसी कहानी जो दिल में बस जाती है, लेकिन मुकाम तक नहीं पहुंचती।



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निष्कर्ष:

सच्चा प्यार हमेशा साथ मिल जाने का नाम नहीं होता। कभी-कभी किसी को दिल से चाहना ही अपने आप में एक खूबसूरत अहसास होता है। राकेश की कहानी हर उस दिल की आवाज़ है जो बिना कुछ कहे सिर्फ चाहने को ही प्यार मान लेता है।

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