Header Ads

जब प्यार ने तोड़ी जाति की दीवार — सुनिता और राकेश की अनोखी प्रेम कहानी

 जब प्यार ने तोड़ी जाति की दीवार — सुनिता और राकेश की अनोखी प्रेम कहानी


Introduction

प्यार वो जज़्बा है जो न जात देखता है, न मज़हब और न ही अमीरी-गरीबी का फर्क। कुछ ऐसी ही सच्ची और दिल को छू लेने वाली प्रेम कहानी है सुनिता और राकेश की, जिन्होंने समाज की तमाम बंदिशों को तोड़कर अपने प्यार को जिन्दा रखा।




शुरुआत एक नज़रों के मिलन से

सुनिता और राकेश एक ही कॉलेज में पढ़ते थे। दोनों रोज़ एक-दूसरे को देखते थे लेकिन तीन साल तक अपने जज़्बात ज़ाहिर नहीं कर सके। नज़रों से नज़रें मिलती रहीं, दिलों में प्यार पनपता रहा, पर जुबान पर ताले लगे रहे।


सोशल मीडिया से जुड़ाव

कहते हैं ना, जहां चाह वहां राह। राकेश ने एक दिन इंस्टाग्राम पर सुनिता को फॉलो किया। धीरे-धीरे दोनों की बातचीत शुरू हुई, जो रात-रात भर चलने लगी। अब वो एक-दूसरे की हर बात में खुशी ढूंढने लगे। उनका प्यार हर पल के साथ और गहरा होता गया।


प्यार की पराकाष्ठा

समय के साथ दोनों के बीच का रिश्ता इतना मजबूत हो गया कि अब वो एक-दूसरे के बिना जीने की कल्पना भी नहीं कर सकते थे। सुनिता राकेश के लिए अपनी जान तक देने को तैयार थी, और राकेश भी उसके लिए हर बंदिश तोड़ने को तैयार था।


जाति बनी दीवार

जब दोनों ने शादी का फैसला किया, तब समाज और परिवार ने उन्हें उनकी जाति का हवाला देकर रोक दिया। सुनिता और राकेश अलग-अलग जातियों से थे, और यही बात उनकी शादी में सबसे बड़ी रुकावट बन गई।


छुप-छुप कर मिलना, प्यार को ज़िंदा रखना

बावजूद इसके, दोनों ने हार नहीं मानी। वो छुप-छुप कर मिलते रहे, एक-दूसरे का साथ निभाते रहे। उनकी आंखों में सिर्फ एक सपना था — एक साथ ज़िंदगी बिताने का।


क्या प्यार जीत पाएगा समाज से?

आज भी सुनिता और राकेश एक-दूसरे से उतना ही प्यार करते हैं जितना पहले करते थे। उनका सपना है कि एक दिन उनका प्यार समाज को बदलने का कारण बनेगा, ताकि और भी जोड़ियों को जाति जैसे बंधनों से न गुजरना पड़े।



Conclusion

सुनिता और राकेश की कहानी हमें ये सिखाती है कि अगर प्यार सच्चा हो, तो कोई भी रुकावट उसे रोक नहीं सकती। आज ज़रूरत है समाज को बदलने की, ताकि प्यार को सम्मान मिले, न कि सवाल।

कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.