राकेश और सुनीता की अजीब लेकिन सच्ची प्रेम कहानी
राकेश और सुनीता की अजीब लेकिन सच्ची प्रेम कहानी
प्रेम कहानियाँ अक्सर सामान्य नहीं होतीं। कुछ कहानियाँ दिल को छू जाती हैं, तो कुछ दिमाग में सवाल छोड़ जाती हैं। आज हम आपको एक ऐसी ही प्रेम कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं, जो थोड़ी अजीब जरूर है, लेकिन उतनी ही सच्ची और दिल से जुड़ी हुई है – राकेश और सुनीता की।
एक नजर में प्यार
राकेश एक सीधा-सादा लड़का था, जिसे प्यार के मायने तब समझ में आए जब उसने सुनीता को पहली बार देखा। सुनीता भी एक साधारण लड़की थी, पर उसकी आँखों में कुछ खास था, जो राकेश को अंदर तक भा गया।
बिना वजह की लड़ाइयाँ
सुनीता का स्वभाव थोड़ा गुस्सैल था। वह बिना बात के ही राकेश से नाराज़ हो जाती थी। कभी छोटी-छोटी बातों पर झगड़ पड़ती, लेकिन थोड़ी ही देर में प्यार से मन भी जाता करती थी। राकेश को यह सब अजीब लगता था, लेकिन उसने कभी शिकायत नहीं की। उसका प्यार सच्चा था।
चुपके-चुपके मिलने की आदत
सुनीता जब-तब राकेश से मिलने के बहाने ढूँढा करती थी। कभी कहती – "दवाई लेने जा रही हूँ", तो कभी – "कॉपी खरीदनी है।" कुछ दिन तो वह बीमार होने का नाटक कर बैठती, सिर्फ इसलिए ताकि वह राकेश से मिल सके। इन छोटी-छोटी मुलाकातों में उनका प्यार गहराता गया।
राकेश का अटूट प्रेम
राकेश का कहना है, “सुनीता सिर्फ एक लड़की नहीं, मेरी पूरी ज़िन्दगी है। मैं उससे आज भी उतना ही प्यार करता हूँ, जितना पहले दिन किया था। और जब तक साँसें चलेंगी, करता रहूँगा।” उसका यह समर्पण सचमुच दुर्लभ है।
अंत में…
राकेश और सुनीता की प्रेम कहानी हमें यह सिखाती है कि प्यार में परफेक्ट होना ज़रूरी नहीं है। थोड़ी-बहुत लड़ाइयाँ, नाटक, और मुलाकातों की जिद ही रिश्ते को खूबसूरत बनाती हैं। जब दिल से जुड़ाव होता है, तो हर अजीब बात भी खास लगने लगती है।
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